Wednesday, December 2, 2015

प्राक्कथन

प्राक्कथन
उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश में भी किसी विश्वविद्यालय के प्रथम परिनियम का हिंदी रूपांतरण प्रकाशित नहीं हुआ है। उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के हिंदी रूपांतरण विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा समय-समय पर प्रकाशित होते रहे हैं। अधिनियम निर्माण विधायी कार्य है, उसका अंग्रेजी से हिंदी रूपांतर एक संवैधानिक बाध्यता है, किंतु किसी अधिनियम के विनियम/परिनियम/नियमावली को हिंदी में लाने में प्राय: आलस्य दिखता है, जबकि किसी विश्वविद्यालय का सारा व्यवहारिक कार्य इस नियमावली से ही संचालित होता है।
स्वाभाविक है कि हिंदी पट्टी के विश्वविद्यालयों में अधिकारियों एवं कर्मचारियों को ही नहीं, सभी हितधारकों को भी परिनियम के हिंदी में आ जाने से नियमों को जानने समझने में सुगमता होगी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपतिजी प्रोफेसर अविनाश चंद्र पांडेय के मन में पता नहीं कैसे इस रूपांतर कार्य को कराये जाने का विचार आया। यह विलक्षण संयोग ही है कि वे हिंदी एवं अंग्रेजी भाषाओं पर अच्छी पकड रखने के साथ-साथ हिंदी साहित्यानुरागी भी हैं। वे व्यक्तियों से क्षमतानुरूप काम लेने में सिद्धहस्त हैं। अप्रैल 2015 में किसी दिन एक शिष्टाचार भेंट में जब हम लोग कुलपतिजी से मिले तब उन्होंने अधिनियम, परिनियम और अध्यादेशों का रूपांतर कार्य करने का प्रस्ताव किया। हम लोगों ने तत्क्षण इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया। कार्य निर्धारित अवधि में पूरा किये जाने की चुनौती थी, किंतु प्रभु कृपा से विश्वविद्यालय का यह उपयोगी कार्य टंकण सहित अल्पावधि में ही संपन्न हो गया।
किसी भाषा के रूपांतरण में भाषागत कठिनाइयां आती ही हैं। रूपांतर में मूल अर्थ पूर्ण रूप में प्रचलित शब्दों के माध्यम से प्रकट हो, इसका प्रयास रहता है। कार्यालयी भाषा में मूल अर्थ को ग्रहण करने में भ्रम या विवाद न रहे, इसलिये कहीं कहीं भारत सरकार के वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा प्रकाशित प्रशासनिक शब्दकोश में दिये शब्दों को यथास्थान रखना पड़ा है, ऐसे कुछ शब्द किसी को गूढ या कठिन लग सकते हैं। यह शब्द हिंदी की मूल प्रकृति से अलग नहीं हैं, उदाहरणस्वरूप अंग्रेजी शब्द holiday, leave एवं vacation को क्रमश: (शासकीय) छुट्टियां, अवकाश एवं प्रावकाश कहा गया है, यहां कोई एक हिंदी शब्द अंग्रेजी के तीनों शब्दों का स्थानापन्न नहीं हो सकता था। ध्यातव्य है कि कोई भाषा कठिन या सरल नहीं होती, वरन वह परिचित या अपरिचित होती है, अत: हमें विश्वास है कि हिंदी भाषाभाषियों को परिनियम की बारीकियां ह्रदयंगम करने में अंतत: कठिनाई नहीं होगी।
दिनांक 25 मई 2015
राकेश नारायण द्विवेदी
पुनीत बिसारिया
जयशंकर तिवारी
दुर्गेश कुमार सिंह

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